पाकुड़। प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश सह विशेष जज पॉस्को शेषनाथ सिंह की अदालत ने शुक्रवार को नाबालिक के 65 वर्षीय बुजुर्ग दुष्कर्मी मिस्त्री मरांडी को पॉक्सो की धारा 6 एवं 376 ab के तहत सश्रम आजीवन कारावास जिसका अर्थ होगा शेष प्राकृतिक जीवनकाल के लिए कारावास एवं पचास हजार रुपया जुर्माना करने की सजा सुनाई है। जुर्माना की राशि नहीं देने पर उसे अतिरिक्त एक साल जेल में रहना पड़ेगा। न्यायालय ने बीते कल गुरुवार को मिस्त्री मरांडी को दोषी करार दिया था। मिस्त्री मरांडी हिरणपुर थाना क्षेत्र के देवापाड़ा गांव का निवासी है। नाबालिक की मां ने इस घटना को लेकर 18 फरवरी 2024 को हिरणपुर थाना में कांड संख्या 05/2024 दर्ज की थी। इसके अनुसार 10 फरवरी 2024 की शाम करीब 7:00 बजे नाबालिक की मां पानी लाने के लिए चापाकल गई थी। उस समय नाबालिक अकेले घर पर थी। उसी समय मिस्त्री मरांडी उसके घर में घुसा और नाबालिक के साथ जबरन दुष्कर्म किया। नाबालिक के रोने और चिल्लाने पर मिस्त्री मरांडी भाग खड़े हुए। मां के पानी लेकर घर लौटने पर नाबालिक ने उसे इस घटना की जानकारी दी। दायर प्राथमिकी में कहा गया है कि इस घटना को लेकर गांव में पंचायती हुई थी। इसके कारण थाना में प्राथमिकी दर्ज करने में देर हो गई। प्राथमिकी दर्ज होने के दूसरे दिन ही पुलिस ने मिस्त्री मरांडी को गिरफ्तार कर जेल भेज दी थी। तब से ही वह जेल में बंद है। गौरतलब हो कि भारतीय दंड संहिता की धारा 376 AB के तहत, यदि कोई व्यक्ति 12 वर्ष से कम आयु वाली महिला के साथ दुष्कर्म करता है, तो उसे कम से कम 20 वर्ष का कठोर कारावास, किन्तु जो आजीवन कारावास तक हो सकेगा, जिसका अर्थ होगा उस व्यक्ति के शेष प्राकृतिक जीवनकाल के लिए कारावास और जुर्माना या मृत्युदंड।
इसके अलावा, अदालत ने विधिक सेवा प्राधिकार पाकुड़ के सचिव को पीड़िता को उचित मुआवजा दिलाने के लिए अनुशंसा की है, ताकि पीड़िता को न्याय मिल सके और उसके भविष्य को सुरक्षित किया जा सके। अदालत का यह फैसला नाबालिग के साथ दुष्कर्म जैसे जघन्य अपराध के प्रति कड़ी कार्रवाई का संकेत देता है और समाज में ऐसे अपराधों के प्रति कठोर से कठोर सजा देने की नीति को दर्शाता है।
