पाकुड़। जनजातीय कार्य मंत्रालय की पहल पर जन-जागरूकता और सिकल सेल एनीमिया की पहचान के लिए धरती आबा जन भागीदारी अभियान के तहत बुधवार को पुराने सदर अस्पताल परिसर में विशेष जांच शिविर का आयोजन किया गया। शिविर का उद्घाटन उपायुक्त मनीष कुमार सहित आईटीडीए परियोजना निदेशक अरुण कुमार एक्का, कार्यपालक दंडाधिकारी विकास कुमार त्रिवेदी, बीडीओ समीर अल्फ्रेड मुर्मू, सदर अस्पताल के उपाधीक्षक डॉ. मनीष कुमार, जिला भीवीडी पदाधिकारी डॉ. अमित कुमार और प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ. एस.के. झा ने दीप प्रज्वलित कर किया। इस अवसर पर उपायुक्त मनीष कुमार ने सिकल सेल एनीमिया को “एक गंभीर लेकिन पहचान योग्य और नियंत्रित की जाने वाली बीमारी” बताया। उन्होंने कहा कि “यह रोग विशेष रूप से अनुसूचित जनजाति और आदिम जनजातीय समुदायों में अधिक पाया जाता है, इसलिए सभी परिवारों को जांच अवश्य करानी चाहिए।” उन्होंने बताया कि यह अनुवांशिक रोग है, और इससे बचाव का सबसे बेहतर उपाय समय पर जांच और सही जानकारी है। जिला प्रशासन की ओर से व्यापक स्तर पर पंचायतों में भी नि:शुल्क शिविर लगाए जा रहे हैं, जहां न केवल जांच की जा रही है, बल्कि उपचार और परामर्श भी उपलब्ध कराया जा रहा है। उपायुक्त ने आगे कहा कि सरकार की कई जनकल्याणकारी योजनाएं। आदिवासी समाज के लिए चलाई जा रही हैं, लेकिन उनका लाभ तभी मिलेगा जब लोग जागरूक होंगे। आज का यह शिविर सिर्फ जांच का ही नहीं, बल्कि जानकारी और अधिकारों को जानने का भी एक माध्यम है। बता दें कि यह अभियान 19 जून से 8 जुलाई 2025 तक जिले में चलाया जा रहा है। शिविर में बड़ी संख्या में लोगों ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई और नि:शुल्क जांच का लाभ उठाया।
क्या है सिकल सेल एनीमिया:
एक अनुवांशिक रक्त विकार, जिसमें शरीर के लाल रक्त कण असामान्य आकार के हो जाते हैं, जिससे खून में ऑक्सीजन की मात्रा प्रभावित होती है और शरीर में थकान, कमजोरी, सूजन, और संक्रमण की संभावना बढ़ जाती है। यह बीमारी मुख्यतः जनजातीय समुदायों में अधिक पाई जाती है।