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June 24, 2025 12:06 am

पीडीजे बोले– ‘पाकुड़ गरीब इलाका है, हमारी गलती से न हो फरियादियों को परेशानी’

न्यायालय कर्मियों को आदेश लेखन का दिया गया प्रशिक्षण।

पाकुड़ | व्यवहार न्यायालय परिसर में न्याय प्रक्रिया को अधिक पारदर्शी, सुगम और समयबद्ध बनाने की दिशा में रविवार को व्यवहार न्यायालय के सभागार कक्ष में एक दिवसीय विशेष प्रशिक्षण सत्र का आयोजन किया गया। यह प्रशिक्षण झारखंड ज्यूडिशियल अकैडमी, रांची के निर्देश पर प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश शेषनाथ सिंह की अध्यक्षता में संपन्न हुआ। प्रशिक्षण में न्यायालय के शेरिस्तादार, पेशकार सहित अन्य संबंधित कर्मियों को आदेश लेखन की बारीकियों, वादों के निष्पादन में आने वाली प्रक्रियाओं तथा वैकल्पिक विवाद समाधान (ADR) के बारे में गहराई से जानकारी दी गई।

तीन मास्टर ट्रेनर ने दी तकनीकी जानकारी

प्रशिक्षण की जिम्मेदारी मास्टर ट्रेनर जितेंद्र कुमार गुप्ता (पेशकार), राघवेंद्र ठाकुर (वरिष्ठ सहायक) एवं जनार्दन मालाकार (प्रभारी शेरिस्तादार) को दी गई थी। तीनों को 19 जून को रांची में ज्यूडिशियल अकैडमी द्वारा आयोजित वर्कशॉप में MS-2 कोर्स का प्रशिक्षण दिया गया था। प्रशिक्षण को दो पालियों में बांटते हुए सभी कर्मचारियों को आदेश लेखन से जुड़े प्रावधानों, न्यायालयीय प्रक्रियाओं और माननीय उच्च न्यायालय द्वारा जारी नए आदेश फार्मों के नियमित उपयोग पर विस्तृत जानकारी दी गई।

पीडीजे का सख्त संदेश– गरीबों को न हो तकलीफ

प्रशिक्षण के दौरान प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश शेषनाथ सिंह ने कर्मियों को स्पष्ट निर्देश देते हुए कहा कि पाकुड़ एक पिछड़ा और गरीब इलाका है, यहां आने वाला हर फरियादी किसी उम्मीद के साथ आता है। हमारी लापरवाही से उन्हें कोई तकलीफ न हो, इसका विशेष ध्यान रखें। उन्होंने कर्मियों से अपील की कि वे प्रशिक्षण में प्राप्त जानकारी को अपने कार्य में आत्मसात करें ताकि न्यायालय का कामकाज बिना देरी के हो और न्याय सुलभ, पारदर्शी और समयबद्ध रूप में मिल सके।

फीस संरचना और वकील–फरियादी सुविधा पर भी हुई चर्चा

सत्र में वादों में लगने वाली ऐड वॉलेरम फीस (यथामूल्य शुल्क) को लेकर भी प्रशिक्षण दिया गया। साथ ही न्यायालय में वकीलों व फरियादियों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए न्यायिक प्रक्रिया को कैसे और सुलभ बनाया जा सकता है, इस पर भी मंथन हुआ।

ADR पर भी हुई विस्तार से चर्चा

प्रशिक्षण के अंतर्गत वैकल्पिक विवाद समाधान (ADR) की महत्ता और कार्यप्रणाली पर भी विशेष सत्र रखा गया, ताकि छोटे-मोटे विवादों को न्यायालय से बाहर सुलझाया जा सके और न्यायालय पर बोझ कम हो। मौके पर अपर न्यायिक दंडाधिकारी विशाल मांझी, न्यायिक दंडाधिकारी प्रथम श्रेणी विजय कुमार दास, सहित न्यायालय के तमाम कर्मी उपस्थित रहे। सभी ने प्रशिक्षण में गंभीरता से भाग लिया।

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