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November 23, 2024 5:58 am

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कोटालपोखर थाना क्षेत्र में प्रतिदिन होती है 3 लाख की लॉटरी अवैध लॉटरी की खपत

साहिबगंज जिले के कोटालपोखर थाना क्षेत्र के निवासी राजू कुमार ( नाम बदला गया है ) स्टूडियो चलाता है। किसी दोस्त की देखा देखी लॉटरी खेलने की लत लगी, फिर सारे पैसे उसमें जाने लगे, नतीजा यह हुआ कि समय पर महिला ग्रुप का सप्ताहिक पैसा नहीं दे पा रहा है। अब वो किसी तरह जेरॉक्स मशीन लगा कर के अपना जीवन यापन कर रहा है।

उसी एरिया में रहने वाले फुचू कुमार (नाम बदला हुआ) की जूते चप्पलों का दुकान है। हर दिन की बिक्री से लॉटरी टिकट खरीदने की वजह से अब दुकान बंद होने की कगार पर है, क्योंकि सारे जूते चप्पल बिक चुके हैं और नया सामान खरीदने के लिए पूंजी बची ही नहीं है। ठीक ऐसे ही कहानी चूड़ी बेचने वाले शंकर (नाम बदला हुआ) की है जो पहले रोज 5-6 सौ रुपए कमा कर घर ले जाता था, लेकिन अब सारे पैसे लॉटरी में उड़ जाते हैं तो कई बार परिवार को खाने के लाले पड़ जाते हैं।

ऐसे हजारों अन्य लोग हैं जिन्हें लॉटरी की लत ने बर्बाद कर दिया है। वे ना अपने परिवारों का पालन पोषण कर पा रहे हैं, ना ही बच्चों की स्कूल फीस दे पा रहे हैं, बस “तुरंत अमीर होने के एक झूठे छलावे” के पीछे रोज हजारों रुपए गॅंवा रहे हैं। इस रिपोर्ट की कवरेज के दौरान हमारी टीम की मुलाकात ऐसे शख्स से भी हुई जिसने पिछले डेढ़ दो सालों में से एक से दो लाख रुपैया इसमें लुटा दी है।
करोड़ों का है यह खेल
एक अरसे से झारखंड में लॉटरी पर प्रतिबंध है, लेकिन फिर भी चोरी-छिपे सीमावर्ती राज्य बंगाल में बिकने वाली थोड़ी बहुत लॉटरी यहाॅं भी आ ही जाती है। लेकिन अभी जिस स्तर पर यह “खेल”चल रहा है वह कल्पना से परे है। नाम नहीं बताने की शर्त पर एक लॉटरी फुटकर विक्रेता ने बताया कि हर दिन सिर्फ कोटालपोखर थाना क्षेत्र में दो से तीन लाख रुपयों से ज्यादा के फर्जी लॉटरी टिकट बेचे जाते हैं।”
कैसे चलता है यह गोरखधंधा
प्राप्त जानकारी के अनुसार पहले यहाॅं बंगाल में बिकने वाले “DEAR” लाॅटरी के टिकट अवैध तौर पर आते थे।उन लाॅटरी के टिकटों की कीमत 6 रुपये थी, और उसमें एजेंटों को मात्र 5-7% कमीशन मिलता था। यह लाॅटरी टिकट नागालैंड सरकार द्वारा चलाई है जिसमें विजेता को अधिकतम 1 करोड़ रुपए तक का इनाम मिलता है।

विगत कई वर्षों से कोटालपोखर क्षेत्र में फर्जी एटीएम लॉटरी की छपाई एक शख्स उर्फ गोर्रिला ( नाम बदला हुआ ) कर रहे हैं। अवैध एटीएम लॉटरी से उन्होंने अकूत संपत्ति अर्जित की है। उन्होंने प्रॉपर्टी के साथ-साथ हाल फिलहाल में पक्के मकान भी कंप्लीट किया है और एक जगह पक्के मकान बनाने भी चालू किए हैं। अगर आय से अधिक संपत्ति शिकायत उस व्यक्ति पर किया जाता है तो सच्चाई सबके सामने आ जाएगी। वह व्यक्ति अवैध एटीएम लॉटरी के टिकट में अब 5,10 और 20 नंबरों की सीरीज के विकल्प दे रहे हैं। जिससे एक टिकट की कीमत 50, 100 और 200 रुपए हो गई है।
इन लॉटरी के फर्जी टिकटों को बंगाल से लाने की जरूरत नहीं पड़ती और इस फर्जी एटीएम लॉटरी के संचालकों द्वारा एजेंटों को 10% कमीशन दिया जाता है और साथ ही साथ बॉडी इंश्योरेंस भी। आपको यह भी बता दें कि बॉडी इंश्योरेंस क्या है ? बॉडी इंश्योरेंस मतलब कहीं भी अगर पुलिस प्रशासन के द्वारा कोई कार्रवाई होती है या अवैध लॉटरी विक्रेता को जेल जाना पड़ता है तो जेल से लेकर बेल तक सारा खर्च अवैध एटीएम लॉटरी संचालक वहन करते हैं। इसे कहा जाता है बॉडी इंश्योरेंस। अवैध एटीएम लॉटरी में इनाम की रकम अधिकतम 1 लाख तक होती है। दिन में तीन बार (दोपहर 1:00 बजे, शाम 6:00 बजे और रात 8:00 बजे ) होने वाली इस लॉटरी के नंबर असली DEAR लॉटरी टिकटों के नंबर जैसे ही होते हैं और असली DEAR लॉटरी के परिणामों से मिलने वाले नंबर के टिकटों पर ही इनाम दिए जाते हैं।
इस प्रकार संचालकों को स्वयं परिणाम घोषित करने की चिंता भी नहीं होती और असली परिणामों को दिखा कर वे भोले-भाले ग्रामीणों को यह समझा देते हैं कि उनकी लॉटरी असली है। क्योंकि असली DEAR लॉटरी हर दिन बंगाल, नागालैंड तथा कई अन्य राज्यों में लाखों टिकट बेचती है और यहाॅं उसकी तुलना में काफी कम टिकट छपते हैं। ज्यादातर समय विजेता नंबरों वाले टिकट किसी के पास नहीं होते, इसलिए इनाम देना भी नहीं पड़ता। जब कभी- कभार इत्तेफाक से नंबर मिलने की वजह से इनाम देने की नौबत भी आती है तो वह रकम काफी छोटी होती है। क्योंकि इनकी टिकटों पर 1 करोड़ नहीं बल्कि 1 लाख की अधिकतम राशि लिखी होती है, तो जीती गई अन्य रकम भी उसी अनुपात में कम कर दी जाती है।
जब कभी भी किसी को 5,10 या 50 हजार की रकम इनाम के तौर पर मिलती है, तो फिर उसे एजेंटों द्वारा खूब प्रसारित किया जाता है। वैसे भी हर दिन लाखों करोड़ों रुपए कमाने वाले इन संचालकों के लिए कुछ हजार रुपए का इनाम एक तरह से “मार्केटिंग बजट” होता है। एक छोटे से इनाम के बाद, वह विजेता व्यक्ति, उसके पड़ोसी तथा दोस्त दोगुने उत्साह के साथ तैयार हो जाते हैं, लालच के इस दलदल में हजारों लाखों रुपए डूबाने के लिए।

इस क्षेत्र के कुछ युवा बीच-बीच में सोशल मीडिया पर यह मुद्दा उठाते रहते हैं। जब कभी भी विरोध बढ़ता है या किसी या मीडिया में यह मुद्दा उछलता है तो हफ्ते भर तक क्षेत्र में यह बंद हो जाता है।
सवाल यह है कि जब झारखंड में हर प्रकार की लॉटरी के खरीद बिक्री पर रोक है, तो फिर हर छोटे बड़े बाजारों में या गांवों में बिक रही इस फर्जी लॉटरी बंद करने की का कोई गंभीर प्रयास पुलिस द्वारा क्यों नहीं होता ? पुलिस प्रशासन के नाक के नीचे चल रहे इस गोरखधंधे पर रोक कौन लगाएगा ?

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