सतनाम सिंह
पाकुड़िया प्रखंड क्षेत्र में जेएसएलपीएस अंतर्गत चल रहे जोहार परियोजना के तहत लगभग 65 एकड़ जमीन में लेमनग्रास की खेती 400 प्रगतिशील किसानों ने खेती किया है। इनमें प्रखंड के सभी 18 पंचायत के किसान शामिल है। लेकिन प्रखंड के 100 किलोमीटर के दायरे में कहीं भी लेमनग्रास का तेल निकालने वाला आधुनिक इलेक्ट्रॉनिक मशीन उपलब्ध नहीं है । जिसका खामियाजा किसानों को भुगतना पड़ रहा है। लेमनग्रास से तेल निकालने वाला मशीन नहीं होने के कारण बहुत सारे किसानों ने मजबूरी में अपना कीमती अनोखी फसल लेमनग्रास को खुद अपने हाथों से उखाड़ दिया या काट के फेंक दे रहे है। उसके बावजूद लगभग 40 एकड़ जमीन में लेमनग्रास की खेती किसानों के द्वारा इस उम्मीद में रखा गया है कि कभी न कभी तो लेमनग्रास का तेल निकालने वाला प्लांट क्षेत्र में लगेगा, जिसका फायदा किसानों को मिलेगा। सरकार के प्रयास से अगर प्रखंड में लेमनग्रास का तेल निकालने वाला मशीन होता तो प्रखंड में लेमनग्रास की खेती करने वालों किसानों की संख्या में और वृद्धि होती। ज्ञात हो कि लेमनग्रास की खेती करना बहुत ही आसान और किफायती है। इसमें पानी की खपत भी बहुत ही कम होती है। लेमनग्रास की खेती में खाद का प्रयोग बहुत ही कम होता है और यदि जरूरत पड़ती है तो किसान जैविक खाद का प्रयोग कर आसानी से इसकी खेती कर सकते हैं। बड़ी-बड़ी कंपनियां अनेक प्रकार के बहुउपयोगी तेल, साबुन और कॉस्मेटिक के प्रयोग में लेमनग्रास का इस्तेमाल करते हैं। यहीं नहीं लेमनग्रास का पत्ता प्रतिदिन चाय में मिलाकर भी पिया जाता है। इसका सुगंध और स्वादिष्ट में भी बहुत अच्छा है। साथ ही इससे कोलेस्ट्रॉल, शुगर, थायराइड जैसी बीमारी में भी बहुत फायदेमंद होता है। लेमनग्रास का तेल बाजार में 1200 से 1300 प्रति लीटर की दर में बिकता है। लेमनग्रास की खेती साल में तीन से चार बार एक खेत में ही कटाई किया जा सकता हैं।

