पाकुड़: जिले के निजी विद्यालयों द्वारा हर साल मनमाने ढंग से शुल्क वसूली और अभिभावकों पर डाले जा रहे अनावश्यक आर्थिक बोझ के खिलाफ दुर्गा सोरेन सेना ने आवाज बुलंद किया है। संगठन के जिला अध्यक्ष उज्जवल भगत ने पाकुड़ के जिला शिक्षा अधीक्षक और जिला शिक्षा पदाधिकारी से मिलकर इस गंभीर मामले पर लिखित शिकायत सौंपी और तत्काल जांच की मांग की। उन्होंने कहा कि जिले के विभिन्न निजी (कॉर्पोरेट) स्कूल हर वर्ष छात्रों से ₹5,000 से ₹30,000 तक की भारी-भरकम राशि विभिन्न मदों में वसूल रहे हैं, जिसमें विकास शुल्क, वार्षिक फीस और पुनः प्रवेश शुल्क प्रमुख हैं। यह स्थिति मध्यम एवं निम्न आय वर्ग के अभिभावकों के लिए बड़ी आर्थिक चुनौती बन चुकी है। उज्जवल भगत ने यह भी आरोप लगाया कि कई निजी स्कूल छात्रों को कुछ चुनिंदा दुकानों से ही किताबें, कॉपियाँ, बैग और यूनिफॉर्म खरीदने के लिए बाध्य कर रहे हैं, जिससे सामान की कीमतें आसमान छू रही हैं। उन्होंने कहा कि इस वर्ष कई विद्यालयों ने बिना किसी पूर्व सूचना के स्कूल यूनिफॉर्म तक बदल दी है, जिससे परिजनों को अतिरिक्त खर्च उठाना पड़ा है। उज्जवल भगत ने इस संदर्भ में वसूली का विस्तृत ब्यौरा भी प्रस्तुत किया है। उन्होंने बताया कि अधिकांश निजी स्कूलों में मासिक फीस ₹700 से ₹3,000 तक, विकास शुल्क, वार्षिक फीस एवं पुनः प्रवेश शुल्क ₹5,000 से ₹7,500 तक, किताबों की कीमत ₹2,500 से ₹8,500 तक, यूनिफॉर्म ₹1,500 से ₹2,200 तक, कॉपियाँ ₹700 से ₹1,500 तक, और स्कूल बैग ₹500 से ₹1,400 तक वसूले जा रहे हैं। उन्होंने इसे शिक्षा के नाम पर खुली लूट बताते हुए कहा कि यह न केवल शिक्षा के अधिकार कानून की भावना के खिलाफ है, बल्कि शिक्षा को व्यापार बना देने की कोशिश भी है। दुर्गा सोरेन सेना ने जिला प्रशासन से मांग की है कि पूरे मामले की निष्पक्ष जांच कर दोषी स्कूल प्रबंधन के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए, ताकि शिक्षा व्यवस्था में पारदर्शिता आए और अभिभावकों को राहत मिल सके।
