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April 27, 2025 9:18 am

मजदूर की प्यास बुझाने की गुहार, जिला प्रशासन से चापाकल लगाने की मांग।

यासिर अराफ़ात

पाकुड़ : सदर प्रखंड के संग्रामपुर के फेकारुल शेख एक मजदूर है. जिसका पूरा परिवार चलाने का दारो मदार उसकी मजदूरी पर निर्भर करता है. उसने मजदूरी करके पाई पाई इकट्ठा करते हुए किसी तरह संग्रामपुर पंचायत में दो कट्ठा जमीन खरीदी तत्पश्चात इस जमीन पर बड़ी मुश्किल से एक घर बनाया है. क्षेत्र भ्रमण के दौरान झारखंड उजाला अखबार के ब्यूरो चीफ से उससे मुलाकात होती है और पत्रकार समझ कर उनसे एक आशा और उम्मीद रखते हुए रोने लगते हैं और कहते हैं कि मैंने मजदूरी करके पाई पाई इकट्ठा करते हुए किसी तरह से खुद दो कट्ठा जमीन खरीद कर एक घर बनाया है,सरकार से अगर एक चापाकल मिल जाए तो आपकी बड़ी मेहरबानी होगी. लेकिन बेचारे को क्या पता कि पत्रकार का काम होता है सिर्फ समाज में रह रहे लोगों की दशा सरकार के समक्ष रखना. यह काम तो जिला प्रशासन और सरकार का है परंतु पत्रकार सिर्फ जिला प्रशासन के सामने बेबस इंसान की लाचारी को दर्शा सकता है. फेकारुल शेख ने बताया कि घर तो किसी तरह बना लिया परंतु पीने के पानी के लिए कई किलोमीटर दूर से उनकी छोटी सी बच्ची घड़ा में भरकर पानी लेकर आती है, जिससे उनके परिवार की प्यास बुझती है. अगर सरकार से एक चापाकल मिल जाए तो उनकी यह दिक्कत दूर हो सकती है. इस तरह के मजदूरों के लिए जिला प्रशासन को ध्यान देने की जरूरत है. लोगों की आशाएं और उम्मीद सिर्फ सरकार पर टिकी हुई रहती है. जिला प्रशासन ही उनका सब कुछ है. फेकारुल शेख ने संग्रामपुर पंचायत और तारानगर पंचायत के बीच के खेत में घर बनाया हुआ है और दूर-दूर तक पानी का कोई बंदोबस्त नहीं है. उसका परिवार किसी तरह से काफी दूर से पानी का इंतजाम करते हुए अपने परिवार की प्यास बुझाता है. जिला प्रशासन को ऐसे व्यक्तियों पर ध्यान देने की आवश्यकता है.

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