कम तेल-वसा की हो थाली, तब जीवन में होगी खुशहाली — थीम पर हुआ समापन समारोह।
पाकुड़। “सेवा, समर्पण और संकल्प” — यही थी झलक आज रविन्द्र भवन (टाउन हॉल) में आयोजित पोषण माह 2025 के जिला स्तरीय समापन समारोह की। कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्वलन और पौधा में जल अर्पित कर हुआ। मंच पर मौजूद रहे महिला एवं बाल विकास मंत्रालय, भारत सरकार के अपर सचिव एवं वित्तीय सलाहकार नीतीश्वर कुमार, उपायुक्त मनीष कुमार, उप विकास आयुक्त महेश कुमार संथालिया, अपर समाहर्ता जेम्स सुरीन सहित कई पदाधिकारी। समारोह के दौरान सेविकाओं ने खुद तैयार किए पौष्टिक व्यंजन परोसे, जिनका स्वाद अधिकारियों ने लिया और उनके नवाचार की खुलकर सराहना की। मौके पर ई-संजीवनी पोर्टल पर सबसे अधिक मरीजों का इलाज करने वाले सीएचओ को लैपटॉप और प्रिंटर दिए गए, वहीं उत्कृष्ट कार्य करने वाली सेविकाओं को प्रशस्ति पत्र और सम्मान से नवाजा गया।
उपायुक्त मनीष कुमार ने कहा।
आज प्रोजेक्ट बदलाव के तहत जेएसएलपीएस दीदियों के लिए बर्तन वितरण कार्यक्रम की शुरुआत की गई है। यह पहल महिलाओं की आत्मनिर्भरता की दिशा में स्वर्णिम कदम है। ‘सेविका’ शब्द ही सेवा का प्रतीक है — सेवा और समर्पण से ही असली विकास संभव है।”
उन्होंने कहा कि पाकुड़ अब आकांक्षी जिला होते हुए भी तेजी से आगे बढ़ रहा है। प्रोजेक्ट बदलाव, जागृति, बचपन और परख जैसे अभियानों ने जिले के विकास को नई पहचान दी है।
उपायुक्त ने कहा कि 15 अक्टूबर 2024 को आचार संहिता लागू होने के दिन सहिया सम्मेलन हुआ था, उसी से स्वास्थ्य आंदोलन की जो शुरुआत हुई, आज वह प्रोजेक्ट जागृति के रूप में जनआंदोलन बन चुका है।
उन्होंने बताया कि अब जिले में मलेरिया, कालाजार और फाइलेरिया जैसी बीमारियों पर प्रभावी नियंत्रण हासिल किया जा चुका है — यह जिला प्रशासन, स्वास्थ्यकर्मियों और आम जनता के संयुक्त प्रयासों का नतीजा है।
अपर सचिव नीतीश्वर कुमार ने अपने संबोधन में कहा — पाकुड़ में कार्य के प्रति अधिकारियों और कर्मियों की संवेदनशीलता और उत्साह में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। विभिन्न मंचों पर मिल रहे पुरस्कार यह दर्शाते हैं कि पाकुड़ प्रशासन मजबूत टीम भावना से काम कर रहा है। उन्होंने कहा कि शिक्षा क्षेत्र में शिक्षकों को यह समझना होगा कि वे उन बच्चों को पढ़ा रहे हैं जिनके पास ट्यूशन जैसी सुविधा नहीं है — इसलिए जिम्मेदारी और निष्ठा से पढ़ाना जरूरी है। स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार की सराहना करते हुए उन्होंने कहा कि डॉक्टरों की कमी अभी भी चुनौती है, जिसे स्थानीय भागीदारी और नवाचार से दूर करना होगा। अपर सचिव ने कहा — पाकुड़ जिला जल्द ही विकास और जनकल्याण का एक आदर्श मॉडल बनेगा। यहां की टीम जिस समर्पण और जुनून से काम कर रही है, वही इसकी सबसे बड़ी ताकत है।
समारोह में रंगोली, कविता, गीत, पोषण चर्चा और पोषण ट्रैकर एप के माध्यम से उत्कृष्ट कार्य करने वाली सेविकाओं को सम्मानित किया गया। साथ ही JIASOWA दीपावली मेला में “Roots of पाकुड़” और “आकांक्षा हाट” के सफल आयोजन के लिए कर्मियों को भी सम्मान मिला।











