सतनाम सिंह
पाकुड़। रेलवे सुरक्षा बल के सब इंस्पेक्टर प्रभाकर कुमार चौधरी के नेतृत्व में आरपीएफ की टीम ने रेलवे संपत्ति की रंगे हाथ चोरी मामले पर आरोपी को गिरफ्तार किया है। गिरफ्तार आरोपी की पहचान रवि राय (24 वर्ष), पिता – स्व. बिनोद राय, निवासी – कैलाश नगर, पाकुड़, झारखंड के रूप में हुई है। प्राप्त जानकारी के अनुसार, 18 फरवरी 2025 की देर रात करीब 11.45 बजे आरपीएफ को सूचना मिली कि एक अज्ञात व्यक्ति रेलवे यार्ड में चोरी करने की कोशिश कर रहा है। ड्यूटी पर तैनात आरपीएफ सब इंस्पेक्टर प्रभाकर कुमार चौधरी ने बताया कि उक्त व्यक्ति रेलवे सामग्री को एक लाल और सफेद प्लास्टिक बोरी में भरकर ले जाने की कोशिश कर रहा था। सूचना मिलते ही सब-इंस्पेक्टर एस.एन. कुमार, एएसआई जितेंद्र कुमार साह, कांस्टेबल अजीत कुमार और दिनेश कुमार के साथ तत्काल मौके पर पहुंचे। टीम ने यार्ड क्षेत्र को चारों ओर से घेरकर आरोपी को रंगे हाथ पकड़ लिया। जब आरोपी की तलाशी ली गई, तो उसकी बोरी से रेलवे की लोहे की सामग्री बरामद हुई। पूछताछ करने पर उसने अपना नाम रवि राय बताया और चोरी की घटना को स्वीकार किया। आरोपी ने बताया कि वह एक गरीब परिवार से ताल्लुक रखता है और मजदूरी करके अपना घर चलाता है, लेकिन इतनी आमदनी नहीं हो पाती जिससे परिवार का भरण-पोषण हो सके। उसने स्वीकार किया कि पाकुड़ रेलवे यार्ड उसके घर से करीब 200 मीटर की दूरी पर है और वहां अक्सर रेलवे सामग्री बिखरी रहती है। इसी लालच में उसने चोरी करने की योजना बनाई। घटना की रात आरोपी ने एक प्लास्टिक की बोरी का इंतजाम किया और फेंसिंग दीवार फांदकर यार्ड में घुस गया। वहां कोई सुरक्षाकर्मी मौजूद नहीं था, जिससे उसने लोहे की सामग्री बटोरकर बोरी में भर ली और भागने की कोशिश की। लेकिन जैसे ही वह बाहर निकला, पहले से घात लगाए पुलिसकर्मियों ने उसे चारों ओर से घेरकर पकड़ लिया। आरपीएफ एएसआई जितेंद्र कुमार साह ने बरामद सामान को कानूनी प्रक्रिया के तहत बीते रात मंगलवार को 12:10 बजे से 12:25 बजे के बीच जब्त किया। हालांकि रात के समय होने के कारण कोई स्वतंत्र गवाह नहीं मिल सका। इसके बाद आरोपी को रात 12.30 बजे गिरफ्तार कर लिया गया। आरोपी को आगे की कानूनी कार्रवाई के लिए रेलवे संपत्ति (ग़ैरक़ानूनी क़ब्ज़ा) अधिनियम 1966 की धारा 3(a) और रेलवे अधिनियम की धारा 147 के तहत न्यायालय में पेश किया जा रहा है। आरपीएफ ने अनुरोध किया है कि जांच पूरी होने तक आरोपी को न्यायिक हिरासत में भेजा जाए ताकि वह किसी प्रकार की बाधा उत्पन्न न कर सके।
