लिट्टीपाड़ा के उत्क्रमित मध्य विद्यालय डमरु में समय से पहले ताला, अधिकारी बेखबर।
लिट्टीपाड़ा (पाकुड़)। सरकार भले ही शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने और विद्यालयों में अनुशासन कायम रखने के दावे कर रही हो, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां कर रही है। लिट्टीपाड़ा प्रखंड के उत्क्रमित मध्य विद्यालय डमरु की स्थिति सरकार के दावों की पोल खोल रही है। यहां प्रधानाध्यापक की मनमानी के कारण विद्यालय नियमित समय से पहले बंद कर दिया जाता है, जिससे बच्चों की पढ़ाई बुरी तरह प्रभावित हो रही है। बुधवार की दोपहर करीब डेढ़ बजे जब संवाददाता विद्यालय पहुंचे, तो विद्यालय के मुख्य द्वार पर ताला लटकता मिला। आसपास के ग्रामीणों ने ऑफ कैमरा बताया कि प्रधानाध्यापक अक्सर समय से पहले विद्यालय छोड़कर चले जाते हैं। उनका कहना था कि विद्यालय का संचालन भगवान भरोसे चल रहा है, बच्चों की पढ़ाई पर कोई ध्यान नहीं देता।
बायोमेट्रिक हाजिरी बनी दिखावा, व्यवस्था पर उठे सवाल
शिक्षकों की उपस्थिति पर निगरानी के लिए सरकार ने बायोमेट्रिक सिस्टम लागू किया था, ताकि पारदर्शिता बनी रहे। लेकिन उत्क्रमित मध्य विद्यालय डमरु में यह प्रणाली सिर्फ शोपीस बनकर रह गई है। ग्रामीणों के अनुसार, प्रधानाध्यापक न तो नियमित समय पर विद्यालय पहुंचते हैं, न ही बायोमेट्रिक हाजिरी दर्ज करते हैं। एक अभिभावक ने नाम न छापने की शर्त पर बताया — बायोमेट्रिक मशीन बस रखी है, कोई इस्तेमाल नहीं करता। शिक्षक जब चाहें आते हैं, जब चाहें चले जाते हैं। बच्चों की पढ़ाई पूरी तरह भगवान भरोसे है। ग्रामीणों ने यह भी बताया कि अगर अधिकारी औचक निरीक्षण करें, तो लिट्टीपाड़ा प्रखंड के पश्चिमी इलाके में दर्जनों विद्यालय ऐसे मिलेंगे जो समय से पहले बंद कर दिए जाते हैं।
क्या कहते हैं जिला शिक्षा अधीक्षक
इस संबंध में जब जिला शिक्षा अधीक्षक नयन कुमार से संपर्क किया गया तो उन्होंने कहा — यदि प्रधानाध्यापक समय से पहले विद्यालय छोड़ रहे हैं तो जांच कर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।











