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February 8, 2025 5:48 am

विजय दशमी: बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक।

सतनाम सिंह पाकुड़।

आश्विन मास की दशमी तिथि को मनाया जाने वाला दशहरा या विजय दशमी का पर्व भारतीय संस्कृति में बहुत महत्व रखता है। यह पर्व बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है और हमें सत्य, न्याय और धर्म के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है।

दशहरे की कथा

हिंदू पुराणों के अनुसार, दशहरे का पर्व रावण के वध की याद में मनाया जाता है। रावण, लंका का राजा था, जिसने अपनी शक्ति और अहंकार के कारण भगवान राम की पत्नी सीता का हरण कर लिया था। भगवान राम ने अपने भाई लक्ष्मण और वानर सेना के साथ मिलकर रावण का वध किया और सीता को बचाया।
इसी तरह, दुर्गा पूजा के दस दिन बाद दशहरा मनाया जाता है, जो देवी दुर्गा की जीत का प्रतीक है। देवी दुर्गा ने महिषासुर नामक राक्षस का वध किया था, जिसने देवताओं और मनुष्यों पर अत्याचार किया था।

दशहरे का महत्व

दशहरे का पर्व हमें कई महत्वपूर्ण सबक सिखाता है:

सत्य और न्याय की जीत
बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक
अहंकार और शक्ति के दुरुपयोग के खतरे
धर्म और नैतिकता के मार्ग पर चलने की प्रेरणा. आत्म-सम्मान और स्वतंत्रता की रक्षा

दशहरे की रस्में

दशहरे के दिन लोग विभिन्न रस्में और अनुष्ठान करते हैं:

रावण के पुतले का दहन
देवी दुर्गा की पूजा
शस्त्र पूजा
नवीन वस्तुओं का क्रय
मित्रों और परिवार के साथ मिलन

निष्कर्ष

दशहरा या विजय दशमी का पर्व हमें बुराई पर अच्छाई की जीत की याद दिलाता है और हमें सत्य, न्याय और धर्म के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है। यह पर्व हमें अपने जीवन में अच्छाई और सच्चाई को अपनाने और बुराई के खिलाफ लड़ने के लिए प्रेरित करता है।

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